SDLC (Software Development Life Cycle)
जब हम किसी software की बात करे तो उसे बनाने से लेकर उसके maintanance तक का काम इस software की life cycle द्वारा की जाती है। किसी भी प्रकार के software को create करने के लिए software को कई phases से होकर गुजरना पड़ता है। SDLC के phases इस प्रकार हैं -Analysis phase, requirement phases, design phases, coding phases, testing phases व maintanance phases होता है।
मान लीजिए कीं आप किसी software company में work करते हैं। आपको कोई software create करना है तो आप पहले उस person से मिलकर यह तय करते हैं कि उसे अपने software में किस प्रकार की requirement है उसे जान, समझ के फिर आप अपने Analysis के बाद उस customer के requirement के अनुसार एक design तैयार करते है और वह particular design पर customer की permission लेते हैं आगे working करने की। यदि customer को किसी भी प्रकार का problem उसमें लगता है, तो वह तुरंत designer के द्वारा modify कर दिया जाता है। इस प्रकार से step-by-step हर तरह के phase में customer के according कार्य किया जाता है जिससे कि software company के employee ठीक वैसा ही software create कर सके, जैसे वहाँ आये customer की माँग थी। इस प्रकार SDLC का उपयोग कर creater, user के according software create कर के दे सकता है। किसी भी प्रकार के software creation में SDLC की मुख्य भूमिका होती है।
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