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ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है? इसके प्रकार बताइये । - What is Operating System? State its types.


Operating system                              

यह एक system software है operating operating अलग-अलग प्रकार के hardware एवं software का collection होता है।  यह एक ऐसा  पहला software है जो computer के start होने के बाद load होता है।  operating system आपके computer system के booting के लिए एक most important software है। यह न केवल computer system की booting के लिए बल्कि दूसरे application software और utility software को computer पर चलाने के लिए भी आवश्यक होता है।  Other section, operating system के function में mysterious power है।  यह हमारे computer पर सभी hardware तथा software को control करता है।  Operating system software तथा hardware के मध्य का कार्य करता है।  Operating सिस्टम की सहायता से programmers को coding करने के लिए hardware की जटिलताओं को जानना आवश्यक नहीं होता है।  Programmers operating system के माध्यम से hardware से communicate कर पाते हैं।                            

computer के कई resources जैसे -Memory, hard disk, CPU, keyboard, network-coordination इत्यादि होते हैं। Operating system के अस्तित्व का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य इन resources को manage करना है। Operating system ensure करने को होता है कि सभी application को उचित hardware resources आवश्यकतानुसार मिले। Application को अपने instruction को process करवाने हेतु उपयुक्त CPU time मिले तथा उन्हें डाटा को store करने के लिए उपयुक्त मात्रा में memory मिल पाये। साथ ही software व hardware के बीच आवश्यक communicate भी हो।

 ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार 

ऑपरेटिंग सिस्टम आवश्यकताओं की विविधता के आधार पर चार या पांच प्रकार के होते हैं। इस प्रकार सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम, मल्टी यूजर/मल्टीटास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम, मल्टी प्रोसेसिंग ऑपरेटिंग सिस्टम, रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम और बैच प्रोसेसिंग ऑपरेटिंग सिस्टम हैं। 
1. सिंगल यूजर सिस्टम (Single User System) 
 सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम वहऑपरेटिंग सिस्टम होता है जिसमे केवल एक प्रोग्राम एक बार में एक्सेक्यूट (execute) होता है। पहले समय के अधिकांश ऑपरेटिंग सिस्टम सिंगल यूजर होते थे और आजकल के अधिकांश माइक्रो कम्प्यूटरों में भी सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम का ही प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम को हम सिंगल यूजर/सिंगल टास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम भी कहते हैं। 
इस ऑपरेटिंग सिस्टम में एक समस्या यह है कि इसमें एक से अधिक प्रोग्राम एक बार में एक्सेक्यूट नहीं किये जा सकते हैं इसलिये इस सिस्टम में प्रोग्राम लाइन में व्यवस्थित रहते हैं।
2. मल्टीयूजर/मल्टीटास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम 
 एक से अधिक प्रोग्राम को चलाने की अनुमति देता है। इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम का साधारणतः प्रयोग तब होता है जब हम किसी नेटवर्क पर कार्य कर रहे हैं। इस ऑपरेटिंग सिस्टम पर प्रत्येक यूजर के लिए एक यूजर्स एनवायरनमेंट होता है जिसे यूजर सेशन कहते हैं। प्रत्येक  यूजर के एप्लीकेशन सर्वर पर उनके अपने यूजर सेशन एक्सेक्यूट होते हैं जो अन्य यूजर सेशन से बिल्कुल अलग होते हैं। मल्टी यूजर/मल्टीटास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम एनवायरमेंट में सभी या अधिकतर कंप्यूटिंग सर्वर पर होती हैं। यूनिक्स लाइनक्स तथा मेनफ्रेम ऑपरेटिंग सिस्टम जैसे एम0 वी0 एस0 (MVS) इसके उदाहरण हैं। 
3. मल्टी प्रोसेसिंग ऑपरेटिंग सिस्टम
मल्टी प्रोसेसिंग शब्द का प्रयोग प्रोसेसिंग view को स्पष्ट करने के लिये किया जाता है जहाँ पर दो तथा दो से अधिक प्रोसेसर एक दूसरे से जुड़े रहते हैं। इस प्रकार के सिस्टम में भिन्न तथा स्वतंत्र प्रोग्रामों के निर्देश एक ही समय में एक से अधिक प्रोसेसर्स द्वारा एक्सेक्यूट किये जाते हैं या प्रोसेसर्स द्वारा विभिन्न निर्देशों का एक्सिक्यूशन एक के बाद एक किये जाता है जो कि एक ही प्रोग्राम से प्राप्त हुए हों 
मल्टीप्रोसेसिंग से कम्प्यूटर की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है। यह तकनीक पैरेलल प्रोसेसिंग  सहायता प्रदान करती है तथा इस तकनीक में एक सी. पी. यू. खराब होने पर दूसरे सी. पी. यू. द्वारा कार्य किया जा सकता है। 
4. बैच प्रोसेसिंग ऑपरेटिंग सिस्टम 
बैच प्रोसेसिंग एक बहुत ही पुराना तरीका है जिसके माध्यम से विभिन्न प्रोग्रामों को एक्सेक्यूट किया जा सकता है और इसका प्रयोग विभिन्न डाटा प्रोसेसिंग सेंटर पर फंक्शन्स को एक्सेक्यूट करने के लिये किया जाता है ऑपरेटिंग सिस्टम की यह तकनीक ऑटोमैटिक जॉब-परिवर्तन के सिद्धांत पर निर्भर है। यही सिद्धांत अधिकांश ओपेरटिगं सिस्टमों द्वारा प्रदान किया जाता है। इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम में प्रत्येक यूजर अपने प्रोग्राम को ऑफ लाइन तैयार करता है तथा कार्य पूरा हो जाने पर उसे डाटा प्रोसेसिंग सेंटर पर जमा करा देता है। एक कम्प्यूटर ऑपरेटर उन सारे प्रोग्रामों को एकत्र कर करता है जो एक कार्ड पर पंच रहते हैं जब ऑपरेटर प्रोग्रामों के बैच को एकत्र कर लेता है। वह उस बैच को कम्प्यूटर में लोड कर देता है तथा फिर उन प्रोग्रामों को एक-एक करके एक्सेक्यूट किया जाता है। अंत में ऑपरेटर उन कार्यों के प्रिंटेड आउटपुट को प्राप्त करता है तथा उन ऑउटपुटों को सम्बंधित यूजर्स को प्रदान कर दिया जाता है। 
5. रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम  
रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम बहुत तेज तथा अपेक्षाकृत छोटे ऑपरेटिंग सिस्टम होते हैं। इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम अक्सर इम्बेडेड होते हैं तथा केवल एक ही कार्य के लिए डिजाइन किये होते हैं। इनका उपयोग सामान्यतः मेडिकल जाँच उपकरण, लाइफसपोर्ट सिस्टम, वैज्ञानिक उपकरण, आद्यौगिक रोबोट तथा ,मोबाइल फोन जैसे उपकरणें  में होता है। 
रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम को  रियल टाइम कम्प्यूटिंग के लिए डिजाइन किया जाता है। रियल टाइम कम्प्यूटिंग का मतलब कम्प्यूटिंग को बिल्कुल नियत समय पर करना होता है। यह सिंगल तथा मल्टी टास्किंग दोनों हो सकते है। 
कुछ प्रचलित ऑपरेटिंग सिस्टम 
1. एम. एस. डॉस (MS-DOS)
एम. एस. डॉस का पूरा नाम माइक्रोसॉफ्ट डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम है। यह सबसे अधिक लोकप्रिय ऑपरेटिंग सिस्टम है जो माइक्रो कम्प्यूटर में प्रयुक्त होता है। सन् 1984 में इंटेल 80286 प्रोसेसर युक्त कम्प्यूटर विकसित किये गये, तब ही एम. एस. डॉस. 3.0 और एम. एस. डॉस. 4.0 संस्करणों का विकास किया गया। माइक्रोसॉफ्ट के इस ऑपरेटिंग सिस्टम को डॉस कहा जाता है क्योंकि यह अधिकतर डिस्क से सम्बन्धित इनपुट/आउटपुट कार्य करता है। 
2. विण्डोज (Windows)

विण्डोज़ ऑपरेटिंग सिस्टम ग्राफिकल यूजर इण्टरफेस (Graphical User Interface) पर किए गए शोध कार्यो का परिणाम है। माइक्रोसॉफ्ट कॉर्पोरेशन ने भी ग्राफिकल यूजर इंटरफेस पर आधारित अपने ऑपरेटिंग सिस्टम का विकास किया, जिसे माइक्रोसॉफ्ट विण्डोज़ के नाम से जाना जाता है।      

माइक्रोसॉफ्ट विण्डोज़  पूरा नाम है -"माइक्रोसॉफ्ट-वाइड इण्‍टरऐक्टिव नेटवर्क डेवलपमेंट फॉर ऑफिस वर्क सॉल्यूशन ",माइक्रोसॉफ्ट विण्डोज़ ,पर्सनल कम्प्यूटर के लिए माइक्रोसॉफ्ट द्वारा विकसित ऑपरेटिंग सिस्टम है। माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स तथा पॉल एलेन है। विश्व के लगभग 90% पर्सनल कम्प्यूटर में माइक्रोसॉफ्ट विण्डोज़ ऑपरेटिंग सिस्टम उपयोग हो रहा है। यह graphical User Interface (GUI), मल्टी-टास्किंग, वर्चुअल मेमोरी की सुविधा प्रदान करता है।

3. लाइनक्स (Linux)
लिनक्स एक निःशुल्क ऑपरेटिंग सिस्टम है जिसका विकास लिनक्स टॉरवैल्ड्स ने सन् 1991 ई. में किया जब वह हेलसिंकी विश्वविद्यालय के छात्र थे। टॉरवैल्ड्स ने कर्नेल लिखने के साथ लिनक्स के विकास की शुरुआत की। कर्नेल लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम का मुख्य भाग है जिसे इसका हृदय कहा जाता है। 
कर्नेल के लिखने के बाद, टॉरवैल्ड्स ने इसे अपने मित्रों तथा अन्य कम्प्यूटर व्यवसायिकों को इंटरनेट के माध्यम से भेजा तथा उनसे इसके विकास  उनका सहयोग भी माँगा। आज भी लिनक्स पर पूरी दुनिया में काम हो रहा है तथा इसमें लोग नये- नये फीचर्स जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि लिनक्स का सोर्स कोड इन्टरनेट पर निःशुल्क उपलब्ध है तथा इसे कोई भी डाउनलोड कर इस पर कार्य कर सकता है, इसमें बदलाव कर सकता है तथा इसका विकास कर सकता है। 
लिनक्स विकास वस्तुतः विचारों तथा सॉफ्टवेयर के निःशुल्क आदान-प्रदान की संस्कृति से शुरू हुआ। लिनक्स को मूलतः यूनिक्स का एक निःशुल्क बाँटा जाने वाला संस्करण कहते हैं। ऐसा कहने के पीछे कई बातें हैं इसमें मुख्य बात इसका पोजिक्स कम्प्लायन्ट होना है। यूनिक्स का प्रत्येक संस्करण पोजिक्स का पालन करता है। पोजिक्स का रूप पोर्टेबल ऑपरेटिंग सिस्टम इंटरफेस फॉर यूनिक्स है। यह कम्प्यूटर उद्योग ऑपरेटिंग सिस्टम मानक है। 
4. मैकिनटॉश ऑपरेटिंग सिस्टम (Macintosh Operating System)
मैकिनटॉश ऑपरेटिंग सिस्टम या मैक ऑपरेटिंग सिस्टम केवल एप्पल द्वारा डिजाइन तथा विकसित किये जाने वाले पर्सनल कम्प्यूटरों पर चलने वाला ऑपरेटिंग सिस्टम है। यही इस ऑपरेटिंग सिस्टम की सबसे बड़ी कमजोरी है। इसके बावजूद कई क्षेत्रों में यह पहली पसंद है। इसका सबसे नवीन संस्करण मैक एक्स लेपर्ड ऑपरेटिंग सिस्टम है। इसमें पिछले संस्करणों की अपेक्षाकृत कई नये फीचर्स हैं जिनमें फाइलों को व्यवस्थित करने का नया तरीका, इण्टरनेट संबंधी विशेष फीचर्स शामिल हैं। 

function of operating system                        

1. Process management                                                                    
2. Memory management                                                                  
3. Disk and file system                                                                        
4. Networking                                                                                    
5. Security management                                                                  
6. Graphical user interface                                    
7. Device drivers












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