नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम (NOS)से तात्पर्य सॉफ्टवेयर एवं प्रोटोकॉल के संग्रह से है, जिससे कम्प्यूटर निर्मित नेटवर्क सरलतापूर्वक एवं कम लागत के साथ कार्य कर सके। यह एक सर्वर पर कार्यरत रहता है तथा उसे डाटा, यूजर (users), ग्रुप, सुरक्षा, अनुप्रयोग एवं अन्य नेटवर्किंग कार्यों को मैनेज करने की क्षमता प्रदान करता है। इसका मुख्य उद्देश्य एक नेटवर्क में प्रयुक्त विभिन्न कम्प्यूटरों द्वारा फाइल एवं प्रिंटर को शेयर करना है। नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम के उदाहरण माइक्रोसॉफ्ट विण्डोज सर्वर 2003/2008, UNIX, LINUX, नोवेल नेटवेयर (Novell Nerware) इत्यादि हैं।
नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम की विशेषताएँ
1. नेटवर्क सदैव सर्वर के साथ कनेक्शन बनाए रखता है।
2. यह सभी यूजर के अकाउंट को सुरक्षा प्रदान करता है।
3. यह अन्य कम्प्यूटर पर फ़ोल्डर्स को देखने के लिए फाइल सिस्टम का विस्तार करने में सक्षम है।
4. यह इण्टरनेट वर्किंग विशेषताओं ( जैसे -राउटिंग आदि ) की सुविधाएँ भी प्रदान करता है। नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार नेटवर्क ऑपरेटिग सिस्टम दो प्रकार के होते हैं-
1. पियर-टू-पियर नेटवर्क दो अथवा दो से अधिक ऐसे कम्प्यूटर का नेटवर्क जो आपस में संचार के लिए एक जैसे प्रोग्राम का उपयोग करते हैं उसे P-2-P नेटवर्क कहते हैं।
इसमें डाटा ( ऑडियो, वीडियो आदि ) का डिजिटल प्रारूप में आदान-प्रदान होता है। इस नेटवर्क में कम्प्यूटर आपस में फाइलें ट्रांसफर करने के लिए यूनिवर्सल सीरियल बस (USB) से जुड़े होते हैं। इस नेटवर्क में सभी कम्प्यूटर क्लाइड तथा सर्वर दोनों की तरह कार्य करता है। 2. क्लाइण्ट/सर्वर नेटवर्क ऐसा नेटवर्क, जिसमें एक कम्प्यूटर सर्वर तथा शेष कम्प्यूटर क्लाइण्ट की तरह कार्य करें, क्लाइण्ट/सर्वर नेटवर्क कहलाता है। क्लाइण्ट कम्प्यूटर, सर्वर से किसी सर्विस के लिए रिक्वेस्ट(request) करता है तथा सर्वर उस रिक्वेस्ट के लिए उचित प्रतिक्रिया (response) देता है।
क्लाइण्ट/सर्वर नेटवर्क के लाभ एवं हानियाँ
लाभ 1. इसमें प्रयुक्त केंद्रीकृत सर्वर (cintralized server ) उच्च स्थायित्व युक्त होते हैं।
2. इसमें सुरक्षा, सर्वर द्वारा मैनेज की जा सकती है।
3. इसमें नई तकनिकों एवं हार्डवेयर को आसानी से सिस्टमों को अपग्रेड करने के लिए एकीकृत किया जा सकता है।
4. इसमें विभिन्न लोकेशन एवं सिस्टम के द्वारा सर्वर का रिमोट एक्सेस करना सम्भव है। हानि 1. सर्वर को खरीदने एवं चलाने की लागत अधिक होती है।
2. इनमे अधिकतर कार्यो को सम्पन्न करने के लिए केंद्रित लोकेशन पर निर्भर करना पड़ता है। 3. नियमित अनुरक्षण की आवश्यकता बनी रहती है। 4. नियमित अपग्रेट्स की अनिवार्यता रहती है।
पर्सनल कम्प्यूटर (PC) तथा सर्वर में अन्तर
पर्सनल कम्प्यूटर (PC)
1. PC एक व्यक्तिगत कम्प्यूटर है।
2. PC, एक यूजर-फ्रेण्डली ऑपरेटिंग सिस्टम रन करता है।
3. PC हार्डवेयर का समूह होता है।
4. PC में उच्च नेटवर्क क्षमता की आवश्यकता नहीं होती।
सर्वर
1. यह नेटवर्क का एक केंद्रीय कम्प्यूटर है, जिससे विभिन्न PC जुड़े होते हैं।
2. सर्वर नेटवर्क की सभी रिसोर्सों का संचालन करता है।
3. सर्वर हार्डवेयर या सॉफ्टवेयर अथवा दोनों का समूह हो सकता है।
4. सर्वर पर उच्च नेटवर्क क्षमता की आवश्यकता होती है।
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