PLT
सामान्य रूप से कम्प्यूटरों का उपयोग आंकड़ों का संसाधन और समस्याओं का समाधान करने के लिए होता है। समस्या-समाधान कम्प्यूटर के सबसे महत्वपूर्ण लाभों में से एक है। समस्या समाधान हेतु कम्प्यूटर का उपयोग करने के लिए अनुक्रमित (sequential)और सुस्पष्ट अनुदेश देने होते हैं। इस कार्य में सहायता के लिए क्रमादेशन तर्क तथा तकनीकें ( Programming Logic and Techniques & PLT ) का सिद्धांत विकसित किया गया।
क्रमादेश ( प्रोग्राम )
कम्प्यूटर जिस भाषा को समझ सकता है, क्रमादेश उस भाषा में दिए गए अनुदेशों का समुच्चय है।
उदाहरण के लिए जैसे बस 2 संख्याओं को जोड़ने की तुलना में किसी विद्यालय के सभी छात्रों के अभिलेखों का प्रबंधन काफी अधिक जटिल कार्य है। ऐसे पेचीदा कार्यो को निष्पादित करने के लिए प्रायः कम्प्यूटरों का उपयोग किया जाता है इसे करने के लिए उपयोक्ता को ढेर साडी सूचनाएँ कम्प्यूटर में दर्ज करनी पड़ती हैं। किसी विशिष्ट कार्य को करने हेतु प्रयुक्त अनुदेशों के संग्रह को क्रमादेश (प्रोग्राम) कहते हैं।
क्रमादेश लिखने से पूर्व, निम्न कार्य कर लेना बेहतर रहेगा:
◼️ पूरी समस्या को समझना।
◼️ विविध समाधानों का विश्लेषण करना।
◼️ कागज पर वांछित परिणाम तक पहुँच जाना।
प्रणालीबद्ध समस्या-समाधान की रुपरेखा
PLT प्रणालीबद्ध समस्या-समाधान की रुपरेखा प्रदान करता है। यह उन मूलभूत दिशानिर्देशों को विनिर्दिष्ट करता है, जो दक्ष क्रमादेश में सहायक होंगे। यह समस्या का एक सोपानबध्द हल है।
समस्या को परिभाषित करें
समस्या-समाधान की प्रकिया में पहला सोपान है - समस्या को परिभाषित करना।
उपभोगता को यह अवश्य पता होना चाहिए कि कम्प्यूटर को अनुदेश देने से पूर्व क्या करना है। उपयोक्ता को यह स्पष्ट रूप से बताना चाहिए कि कम्प्यूटर जो भी क्रियाकलाप निष्पादित करेगा, उनका अंतिम परिणाम अर्थात् प्रत्याशित निर्गम (आउटपुट) क्या होना चाहिए। उदाहरण के लिए यदि दो संख्याओं का योगफल निकलना है, तो इस स्थिति में समस्या की प्रकृति है- दो संख्याओं का योग (जोड़)।
समाधान को परिभाषित करें
समस्या को परिभाषित करने के बाद उपयोक्ता समाधान को परिभाषित करेगा।
कम्प्यूटर को निर्गत के रूप में कौन सी सूचना उत्पादित करनी है ( जो इस स्थिति में दो संख्याओं का योगफल हैं ), इसे स्पष्ट रूप से समझ लेने के बाद उपयोक्ता को यह देखना होता है कि:
◼️ कौन-कौन सी सूचनाएँ पहले से उपलब्ध हैं
◼️ वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए कौन सी सूचनाएँ आवश्यक हैं
वर्तमान स्थिति में आवश्यक निवेश (इनपुट) होगा - दोनों संख्याओं। उपयोक्ता को उन समीकरणों या अन्य विविधों को भी परिभाषित करना होगा, जिनका निवेश पर युक्तिपूर्ण क्रिया कर वांछित निर्गम पाने के लिए उपयोग किया जाएगा।
समाधान का प्रतिचित्रण करें
समाधान का प्रतिचित्रण करना तृतीय सोपान है।
उपयोक्ता को हल निर्धारित करने के बाद उसे एक समुचित अनुक्रम में विनिर्दिष्ट करना होता है:
◼️ किस प्रकार का संसाधन करने की आवश्यकता है
◼️ किस प्रकार का निर्गम अपेक्षित है
समाधान के समुचित अनुक्रमण हेतु कलन विधियों (एल्गोरिथ्म) का उपयोग किया जाता है।
क्रमादेश(प्रोग्राम) लिखें
क्रमादेश लिखना चौथा सोपान है।
कलन विधि (एल्गोरिथ्म) को लिखने के बाद उसे किसी भाषा में रूपांतरित करना होता है, जो कम्प्यूटर की समझ में आती है। फिर क्रमादेश को कम्प्यूटर में एक निवेश के रूप में डाला जाता है, जिसे वह संसाधित कर परिणाम दे सकता है।
क्रमादेश का परीक्षण करें
क्रमादेश का परीक्षण अंतिम सोपान है।
परीक्षण चरण में उपयोक्ता इस बात की जाँच करता है कि क्रमादेश मान्य और अमान्य, दोनों तरह के निवेशों पर कैसे अनुक्रिया करता है। क्रमादेश का परीक्षण हो जाने के बाद उपयोक्ता जानना है कि क्रमादेश अब निष्पादन (चलाए जाने) हेतु तैयार है।
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